Description
किताब के बारे में
इस किताब में कविताएँ हैं। इससे ज्यादा ख़ास इस किताब में कुछ नहीं। न तो इसमें इस काल का मानव इतिहास है और न ही कोई गूढ़ बौद्धिक रहस्य है। रात बे-रात कॉपी पर आड़ी तिरछी बनाई गईं रेखाएं भर हैं जिसे इसे लिखने वाले ने कविता होने का दावा किया है।
लेखक के बारे में
प्रशांत सागर का जन्म 1992 में क्रिसमस की रात बिहार के एक छोटे गाँव रसलपुर में हुआ । पिता बिहार राजस्व सेवा में थे, सो बिहार झारखंड के अलग अलग शहरों में बचपन बीता । फिर आधे भारत की तरह इंजीनियरिंग की, और बीते भारत की तर्ज़ पर वकालत । पिता के रस्ते पर चलते हुए UPSC की परीक्षा पास की, और 2019 से भारतीय राजस्व सेवा में कार्यरत हैं । चुपचाप छुप कर लिखने का शौक़ है, सो ये किताब उसी शौक का नतीजा है ।
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