
गुप्त प्रेमपत्र
ईश्वर खुद एक अच्छा कवि है, ब्रह्मांड वो काव्य संग्रह है जिसे कभी कोई प्रकाशक नहीं मिला लिखा, सारे धर्मग्रन्थ बस उसकी कविताओं पर लिखी प्रकाशकों की टिप्पणियां हैं। मैं सोचता हूँ कि ईश्वर कि कविताएँ किस-किस प्रकाशन से बैरंग लौट आयी होंगी, किसी ने तो कहा होगा कि इसमें कल्पना की कमी है, या फिर और अच्छा हो सकता था।
ईश्वर वो अधुनिक कवि है जिसके लिखे को समझने में थोड़ा वक्त लगता है। ईश्वर रोज़ थक हार कर काम से लौट कर थोड़ा और लिखता है, और ब्रह्मांड बताते हैं जैसा वैज्ञानिक की फैलता जा रहा है।
जब-जब ईश्वर प्रकाशकों से थक जाता है तो उसकी कविताएँ छपती हैं किसी के मन में और उसका पाठक या तो प्रेम में पड़ जाता है या फिर कवि बन जाता है।
कवियों के मन में अपनी रचनाएं उतारना ईश्वर की साज़िश है अपनी कविताएँ छपवानी की।
हर छपता कवि ईश्वर का छद्म नाम है जिससे वो प्रकाशकों को धोखे में रख अपनी कविताएँ छपवा रहा है। ईश्वर शायद अपनी कविताएँ 75 नामों से लिखने वाले कवि पेसोआ से प्रेरित है।
इसलिए हर नए कवि को हमें पढ़ते रहना चाहिए, अगर ईश्वर है तो हम सबसे अपने धर्मग्रन्थों के हिसाब नहीं माँगेगा। वो नहीं पूछेगा हमने कितनी दफ़ा नमाज़ पढ़ी और कितनी बार आरती की।
वो पूछेगा कि हमने कितनी कविताएँ पढ़ीं।
बहरहाल आदित्य की ये कविताएँ नई हिंदी की चोटी से निकली कई नदियों में से एक नदी है। मुझे आज तक समझ नहीं आया कि एक ही चोटी से निकली धराएँ अच्छी या बुरी कैसे हो सकती हैं। एक आँसू दूसरे से ज्यादा पवित्र कैसे हो सकता है।जैसा इस किताब का नाम भी है कि अच्छी बात नदियों के बारे में ये है कि निकल जाने का बाद वो रुकती नहीं हैं। ये किताब भी एक संस्करण पूरा कर दूसरे तक जा रही है। अब भाषा के सामन्त इस नदी में उतर सकते हैं या फिर इन कविताओं के नयेपन से भयभीत हो सकते हैं, इसे ख़ारिज कर सकते हैं पर वो इसे रोक नहीं पाएंगे।
ऐसे आदित्य की कविताओं में हर कोई है। पूरे 800 करोड़ लोग, इस पतली किताब में हैं। ये हमारे काल के मानवीय दुखों का इतिहास है। हमारे अकेलेपन में बहाए आँसुओं का संग्रहालय है। इसमें हम सबको टहलते रहना चाहिए। इसलिए शायद ये किताब मैं खुद भी तीन बार पढ़ चुका हूँ। आप सब भी पढ़ें और उन कविताओं को घर ले जाएं जिसमें आपके टेसू बंद हैं।
शुभकामनाएं आदित्य।
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लेखक प्रशांत सागर
प्रशांत सागर का जन्म 1992 में क्रिसमस की रात बिहार के एक छोटे गाँव रसलपुर में हुआ। पिता बिहार राजस्व सेवा में थे, अतः बचपन बिहार झारखंड के अलग-अलग शहरों में बीता। फिर आधे भारत की तरह बेंगलुरु से कुछ पाँच घंटे दूर एक शहर दावणगेरे के एक छोटे कॉलेज बीआईइटी (BIET) से इंजीनियरिंग की और बीते भारत की तर्ज पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर (CLC) से वकालत । पिता के रास्ते पर चलते हुए यूपीएससी- (UPSC) की परीक्षा पास की और 2019 से भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में कार्यरत हैं। प्रशांत की यह दूसरी किताब है
ग्राहकों के सोचा
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Piya2023-09-01
Must read book for poems lovers If you are a poetry lover, either reader or writer or both this book is a must read one for everyone.![]()
Suhit2023-08-31
Must read Dil se likhi gyi kitab jis ko phad ne ke baad lagta hai lekhak ko karib se prem ka anubhav hua hai![]()
Darshan2022-08-11
Best ever book of poems. This book is very close to my heart. Every poem in this book is relatable.![]()
niranjan2022-07-15
Must read शब्द❤️![]()
Rahgir2022-05-26
A wonderful read I really loved the poems. So simple yet so deep. I am an avid reader of his page kitabganj too. Waiting for more.![]()
Unnati Tiwari2022-05-11
A book with emotions 🫀 A book full of emotions and feeling 🫀🌻![]()
Vivek2022-04-12
Good Good poetries.![]()
pranay tumdam2022-03-21
Ek behatreen kitab kavitaon se pyar karne lagte hai jab aap ise padte hai to... Behatreen kitab , kavitaon se pyar karne lagte hai jab aap ise padte hai to, ek bahut hi acchi kitab......![]()
Anjneet2022-03-19
Simple and beautifully written poems, love it दिल को छू लेने वाली, बहुत ही सरल और स्वाभाविक कवितायें !!![]()
Charu2022-03-12
Absolutely fantastic. Once you read, you'll want to read it again. Hindi poems are a declining art. And then comes this book, trying to revive it and making it reach new heights. Give it a read. It will stay by you.