पथिक का यह पर्व उसकी यात्रा के अंत में होने का समय है, जब वह थका हुआ होता है, लेकिन उसका मन न्याय स्थापित करने की सजगता से भरा होता है। वह ईश्वर को भी थका हुआ पाता है, क्योंकि उसने सच्चाई और न्याय की रक्षा की है।
यह कविता हमें यह सिखाती है कि न्याय की राह पर चलते समय कभी-कभी हमें थकान महसूस होती है, लेकिन हमें उस राह पर आगे बढ़ना चाहिए। ईश्वर भी हमारे साथ हैं, हमें साथ चलने की शक्ति देते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। जब हम न्याय के लिए संघर्ष करते हैं, तो हम उस उच्च शक्ति के साथ जुड़ जाते हैं जो हमें सहायता करती है और हमारे साथ है।
इस प्रकार, यह कविता हमें यह बताती है कि न्याय की राह पर अगर हम सही प्रयास करते हैं, तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी, और हमें हमेशा अपने घर लौटने की प्राप्ति होगी।